Not known Facts About Shodashi
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Celebrations like Lalita Jayanti underscore her importance, where by rituals and choices are created in her honor. These observances are a testomony to her enduring allure along with the profound affect she has on her devotees' lives.
बिंदु त्रिकोणव सुकोण दशारयुग्म् मन्वस्त्रनागदल संयुत षोडशारम्।
हस्ते पङ्केरुहाभे सरससरसिजं बिभ्रती लोकमाता
यहां पढ़ें त्रिपुरसुन्दरी अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र संस्कृत में – tripura sundari ashtottarshatnam
The apply of Shodashi Sadhana is usually a journey toward each pleasure and moksha, reflecting the dual mother nature of her blessings.
अष्टारे पुर-सिद्धया विलसितं रोग-प्रणाशे शुभे
यह शक्ति वास्तव में त्रिशक्ति स्वरूपा है। षोडशी त्रिपुर सुन्दरी साधना कितनी महान साधना है। इसके बारे में ‘वामकेश्वर तंत्र’ में लिखा है जो व्यक्ति यह साधना जिस मनोभाव से करता है, उसका वह मनोभाव पूर्ण होता है। काम की इच्छा रखने वाला व्यक्ति पूर्ण शक्ति प्राप्त करता है, धन की इच्छा रखने वाला पूर्ण धन प्राप्त करता है, विद्या की इच्छा रखने वाला विद्या प्राप्त करता है, यश की इच्छा रखने वाला यश प्राप्त करता है, पुत्र की इच्छा रखने वाला पुत्र प्राप्त करता है, कन्या श्रेष्ठ पति को here प्राप्त करती है, इसकी साधना से मूर्ख भी ज्ञान प्राप्त करता है, हीन भी गति प्राप्त करता है।
सा नित्यं नादरूपा त्रिभुवनजननी मोदमाविष्करोतु ॥२॥
The legend of Goddess Tripura Sundari, often called Lalita, is marked by her epic battles versus forces of evil, epitomizing the Everlasting struggle amongst fantastic and evil. Her tales are not merely tales of conquest and also have deep philosophical and mythological significance.
मुख्याभिश्चल-कुन्तलाभिरुषितं मन्वस्र-चक्रे शुभे ।
Referred to as the goddess of wisdom, Shodashi guides her devotees towards clarity, Perception, and better information. Chanting her mantra enhances intuition, encouraging folks make wise choices and align with their inner real truth. This advantage nurtures a lifetime of integrity and intent.
शस्त्रैरस्त्र-चयैश्च चाप-निवहैरत्युग्र-तेजो-भरैः ।
, variety, during which she sits atop Shivas lap joined in union. Her features are unlimited, expressed by her 5 Shivas. The throne upon which she sits has as its legs the five varieties of Shiva, the renowned Pancha Brahmas
यह साधना करने वाला व्यक्ति स्वयं कामदेव के समान हो जाता है और वह साधारण व्यक्ति न रहकर लक्ष्मीवान्, पुत्रवान व स्त्रीप्रिय होता है। उसे वशीकरण की विशेष शक्ति प्राप्त होती है, उसके अंदर एक विशेष आत्मशक्ति का विकास होता है और उसके जीवन के पाप शान्त होते है। जिस प्रकार अग्नि में कपूर तत्काल भस्म हो जाता है, उसी प्रकार महात्रिपुर सुन्दरी की साधना करने से व्यक्ति के पापों का क्षय हो जाता है, वाणी की सिद्धि प्राप्त होती है और उसे समस्त शक्तियों के स्वामी की स्थिति प्राप्त होती है और व्यक्ति इस जीवन में ही मनुष्यत्व से देवत्व की ओर परिवर्तित होने की प्रक्रिया प्रारम्भ कर लेता है।